“इसीलिये मैं तुझे सम्मति देता हूँ, कि आग में ताया हुआ सोना मुझसे मोल ले, कि धनी हो जाए।” (प्रकाशित वाक्य ३:१८)
“इसीलिये मैं तुझे सम्मति देता हूँ, कि आग में ताया हुआ सोना मुझसे मोल ले, कि धनी हो जाए।” (प्रकाशित वाक्य ३:१८)
अग्नि में ताया हुआ सोना मजबूत और जीवित विश्वास का चित्र है १ पतरस १: ७ पढ़िये। ‘तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा और महिमा और आदर का कारण ठहरे।’ सोने को सात बार शुद्ध किया जाता है। हम साबुन और पानी से उसे शुद्ध नहीं कर सकते। सोनार सोने को एक कटोरी में रखता है और उसे पिघलाता है। जब वह पूरी तरह से पिघल जाता है तब फूँकनी द्वारा उसे फूँकता है। ऐसा करने के द्वारा उसमें से आसमानी रंग की ज्वाला प्रगट होने लगती है जिससे कि रेत के छोटे से छोटा कण भी भस्म हो जायें। आईना में जैसे चेहरे को देख सकते हैं वैसे, पिघले हुये सोने में न दिखाई दे तब तक सोनार उसे शुद्ध करता ही रहता है। रेत का एक छोटा कण भी सोने को धुँघला कर सकता है। इसलिये वह आसमानी रंग की ज्वाला को फूँकता ही रहता है। इसी रीति से प्रभु कहता है, यदि हम ऐसा शुद्ध विश्वास चाहते हों तो हमें भी अनेक शुद्ध करने वाली आग में से होकर गुजरना पड़ेगा। इन अंतिम दिनों में हमें मजबूत (दृढ़) विश्वास की जरुरत है। इन दिनों में अनेक शंकाशील लोग हैं जो हमारे हृदय में भी शंका उत्पन्न करना चाहते हैं। कितने ही लोग चिन्ह की खोज में है और कितने जो स्वप्न की आशा रखते हैं। दुःखरुपी शुद्ध करने वाली आग में से गुजरने के द्वारा सरल, दृढ़ और कार्यशील विश्वास प्राप्त होता हैं। जब प्रभु कहता है कि, तू मुझसे सोना मोल ले, तब इसका अर्थ यह है कि हम में उसका विश्वास हो। तभी तों ये लोग हमारे मनों में शंका के बीज बोने में सफल नहीं होंगे।
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